आओ मनाएं ऐसी दिवाली,
कि राम चले आवें मन में |
मन की शक्ति का राज हो,
सादगी आये जीवन में ||
मर्यादा हम रोज़ तोड़ते,
ये नहीं राम का राज्य है |
धर्म की परिभाषा भूले,
वाणी से किया विभाज्य है ||
कुछ दिन पहले रावण मारा
पर और बड़ा पैदा किया |
हरकतें कर डालीं ऐसी,
प्रदूषण ज्यादा किया ||
कोई शायद सुधरेगा कभी,
उम्मीद की बाकी है किरण |
अब कुछ मीठा भी हो जाए,
चलें गणपति और लक्ष्मी की शरण ||
दीपावली शुभ हो, प्रदूषण को अपनी तरफ से सीमित रखने के मन से प्रयास करें. धन्यवाद.
– सुनील जी गर्ग व् परिवार
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