आज तुम्हें क्या लिख दें स्वीटी
कितनी यादें समेटें,
कितने व्यक्त करें उदगार
बस इतना ही लिख देते हैं
तुम जियो हज़ारों साल,
साल के दिन हों पचास हज़ार
सुनील जी गर्ग
आज तुम्हें क्या लिख दें स्वीटी
कितनी यादें समेटें,
कितने व्यक्त करें उदगार
बस इतना ही लिख देते हैं
तुम जियो हज़ारों साल,
साल के दिन हों पचास हज़ार
सुनील जी गर्ग
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