इस साल की कविता कुछ यूं है
ये नया साल बदलेगा भारत की तस्वीर
इसी साल बदलेगी हम सबकी तकदीर
आप बस वादा करें कि करेंगे तदबीर
नया साल फिर मनाएंगे जब उड़ेगी अबीर
अब देश में रहा न गरीब न अमीर
क्योंकि कुछ फैसलों ने मिटा दी लकीर
बात तब ही बनेगी जब जिन्दा रहे ज़मीर
नूतन वर्ष मंगलमय हो
सुनील जी गर्ग
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