मंगल से शुरू था पिछला साल,
बुध का शुरू भी करेगा मंगल |
अगर करो तुम वादा खुद से,
सेव करोगे जल और जंगल ||
और करो कुछ अच्छी बातें,
वाणी से नहीं व्यवहार से |
उनको भी सम्मान दिला दो,
जो आया हो बाहर से ||
मगर काम भी लाना होगा,
तभी तो संग में सुख से जियेंगे|
काहे को फिर होगी फ़ुरसत,
काहे को बेकार लड़ेंगे ||
आओ मिलकर पढ़ें पढ़ावें,
बच्चों को रोज़गार दिलावें |
राजनीति पीछे छूटेगी,
अर्थ नीति पर दाँव लगावें ||
वक़्त बदलते को पहचानें,
हुनर को इज़्ज़त पूरी ज़रूरी |
आदत पर कुछ रखें नियंत्रण,
साफ़ सफ़ाई रखें पूरी ||
फिर वो बीता वक़्त आयेगा,
जिसपर करता हर कोई नाज़ |
सोने की चिड़िया वो अपनी,
उड़ पाएगी ऊंचा आज ||
इस बधाई को रस्म न समझना,
दिल की हूक बड़ी सच्ची है |
एक फ़कीरी है हममें भी,
आपके दिल को लगे तो अच्छी है ||
नए वर्ष पर आप सब उन्नति के नए शिखर छुएँ, ऐसी हार्दिक कामना है|
सुनील जी गर्ग
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