उन्नीस से आया है बीस,
फरक पड़ेगा उन्नीस बीस |
ले भागा कोई बड़ा सा टुकड़ा,
किसी को मिलता छोटा पीस ||
किस्मत के भी नियम निराले,
प्यास जहां न, भरे हैं प्याले |
आ सकता है काम किसी के,
क्यूँ बंद तिजोरी, लगे हैं ताले ||
क्या इस साल कुछ बदलेगा,
दाता कुछ उनको भी देगा |
घुटनों पर भी चल न पाते,
क्या वो उनको गोदी लेगा ||
हमारा क्या हमें तो तर्क आता है,
देना है या नहीं फर्क आता है |
हर साल नयी इच्छा, नए वादे,
निभाया फ़र्ज़ जाता है ||
इस बार कविता में वो शुभता नहीं है,
जश्न मना लो तो सच चुभता नहीं है|
सबको रहने दो चैन से यहाँ पर,
बिना सबके ये देश जंचता नहीं है ||
नव वर्ष पर आओ पुरानी
वापिस लाएं आदत |
संग रहें इक दूजे के,
सबने दी है शहादत ||
समझ समझ के समझ समझना,
मट्टी करना कहा सुना |
नया कहेंगे, नया सुनेंगे,
प्यार बढ़ जाये कई गुना ||
हमारी भी जय जय, तुम्हारी भी जय जय,
हमें भी मुबारक, तुम्हें भी मुबारक |
मानवता का कार्ड बनावें,
हो जाएँ सब उसके धारक ||
नव वर्ष मंगलमय हो
डिस्क्लेमर :
इस काव्य सन्देश का किसी देश, धर्म, जाति से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है. अगर ऐसा लगता है तो इसे मात्रा एक संयोग ही कहा जायेगा |
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