मिली अनेक बधाइयाँ , गदगद हो गया मन | आप सबका धन्यवाद, आप सबको नमन || संकोची है स्वभाव मेरा, थोड़ा लिखे को बहुत समझिये | आपसे नाता, मेरी धरोहर, यादों में यूँ ही बनाये रखिये || – सुनील जी गर्ग
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