गणपति ओ मेरे गणपति
आते तो ज़िन्दगी निखरती
बदलता मौसम बदलती धरती
किस्मत भी अब लगे बदलती
गजाननं लम्बोदर हो तुम
तुम पर अर्पण पीत कुसुम
तुम्हारी सज्जा को हैं अंजुम
और समां में छिड़ी तरन्नुम
अबकी धूम कुछ अलग मचाना
नए भारत का नया हो तराना
जात पाँत की सोच भगाना
बंधें हों जो उन्हें मुक्त करना
विक्रम पहुँचे सही जगह पर
चंद्रयान से विग्रह होकर
अब बस यही कामना लेकर
पूजें सभी चराचर अनुचर ।।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
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