कैसे दूंगा विदाई आपको
इस घड़ी की तैयारी न थी
दोस्त गुरु या सर कहूँ
अभी तो आपकी बारी न थी
आप जाकर भी नहीं गए हैं
क्योंकि सूरज चाँद कभी जाते नहीं
आपके साथ बीते लम्हे
चलचित्र बन गए; भुलाते नहीं
नमन आपकी उस शक्ति को
जिसने दिया हम सबको प्रकाश
आपके दिखाए रास्ते पर चलेँँगे
कीजिये हमारा विश्वास
पर इस वेला में अश्रु धार
रुक नहीं सकती है
सिंघल सर आपको मिले शांति
कीर्ति आपकी घट नहीं सकती है।
सुनील जी गर्ग की श्रद्धांजलि
स्वीकार करें सर
Leave a Reply