चाहत, तम्मन्ना, मोहब्बत,
अभी छूटी कहाँ है आदत |
चखी नहीं है मदिरा कभी,
क्योंकि आप जो हैं इतने मादक ||
हमें लिखने में करने में,
दोनों में आती है शरम |
मगर आपको आती होगी,
ये निकला हमारा भरम ||
सारे सच झूठ की सीमायें ,
यहीं पर शुरू, यहीं पर ख़तम |
जी हाँ, आप जब से बने हो,
हमनवां, हमसफर, हमकदम ||
वो और हैं जो समझते हैं इनको,
फालतू की बातें पूरी की पूरी |
दरअसल, धीरे धीरे मचलती है दुनिया,
उम्र के साथ जब घटती जाती है दूरी ||
Leave a Reply