चाँद पे ग्रहण लगा,
ग्रहण लगा था सूर्य पे |
राज्य सारा जल रहा,
शिकन नहीं हुज़ूर पे ||
सुना था कोई नीरो था,
बजा रहा था बांसुरी |
फ़रक कहाँ था पड़ रहा
सुरीली हो या बेसुरी ||
था बात जिनका काम,
वो बातें बनाने लगे |
ख़बरनवीस यूँ गज़ब,
किस्से सुनाने लगे ||
हवा किधर को जायेगी,
ये तय किया जाने लगा |
सोच सकते हैं क्या,
ये कोई बतलाने लगा ||
उधर कई फ़कीर थे,
मगर वो बहुत अमीर थे|
इधर थे कुछ हारे थके,
बिके हुए ज़मीर थे ||
मगर यदा यदा का पाठ,
किसी किसी को याद है |
अब जनम तो लो श्री किशन,
यही मेरी फ़रियाद है ||
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