कुछ अलग है होली अबकी बार,
गले मिलने से डरते हैं लोग ।
नमस्कार कीजिए मन मिलाइए,
मन मिले तो भाग जाते हैं रोग।।
वैसे रंग नये नये हैं बाज़ार में,
रंग इंसान में भी कई होते हैं।
नयी फ़सल का भी आया है मौसम,
हम वही काटते हैं जो बोते हैं ।।
नए मौसम में नयी रंगत घोलिये,
मुस्कान से मनाइए रंगो का त्यौहार।
किसका नफ़ा किसका नुकसान छोड़िये,
पहले से बेहतर होगी होली इस बार।।
होली की ढेरों बधाई
सुनील जी गर्ग
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