बहुतों ने इसे रोकना चाहा,
पर बढ़ता रहा इसका प्रचार |
दिलवाले देश में कम न थे,
यूँ मनाते रहे जैसे त्यौहार ||
कोई घर में चुपचाप मनाता,
कोई करता है इसकी नुमाईश |
कोई बिना बोले रह जाता,
कोई पूरी करता फ़रमाइश ||
इसी देश में खजुराहो और,
इसी देश में घूंघट है |
इसी देश में अब भी शादी में,
माँ बाप की हाँ की ज़रुरत है ||
प्रेम दिवस यहाँ सदियों से,
असली संतों का देश है ये |
यहाँ प्रेम भी है एक योग समान,
दुनिया को एक सन्देश है ये ||
नोट:
वैलेंटाइन दिवस मनाने वाले उत्साह से मनाएं, ये कविता उन्हें निराश करने के लिए नहीं, पर एक भारतीय होने के कारण हर दिवस प्रेम दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रेरणा देने के लिए है| प्रकृति से प्रेम के लिए, मानवता से प्रेम के लिए, देश से प्रेम के लिए, काम से प्रेम के लिए, परिवार से प्रेम के लिए, मित्रों से प्रेम के लिए व स्वयं से प्रेम के लिए |
सबको शुभ हो
Leave a Reply