आजकल जो शब्द चल रहे हैं उनको मिला कर ये रचना बना ली। सावधानियां भी इसमें शामिल हैं।
अच्छे लगने लगे उनको वो आशिक़,
हाथ धोकर थे जो पीछे पड़े ।
दरअसल जाने अनजाने वो लोग
कोरोना वायरस से बेहतर थे लड़े ।।
पीछे पड़ो मगर मीटर की दूरी बना कर रखो,
कन्या ने साफ़ कह दिया उन सबसे।
क्वारंटाइन में रहेंगे तो मेसेज से बात कर लेना,
सरकारी मेहमान बनने की तम्मना थी कबसे
इधर साबुन में शराब मिला मिला कर,
सेनेटाईज़र भी आशिक़ ने बना लिया।
उधर माशूक का दिल बदला तो यूं ही,
छींक कर सोशल डिस्टेंस बना लिया।
सोचा थोड़ा मुस्कान दूं सबको तो
यूं ही लिख दिया जरा नए अंदाज़ में।
ईश्वर करे न मिलना पड़े किसी ऐसे से,
जो इधर जल्दी ही लौटा हो जहाज में।।
सुनील जी गर्ग
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