रोटी जैसी लगती माँ तू,
सोंधी सोंधी नरम नरम
सबर हुआ जो तुझको पाया
तू समझाती, मिटे भरम
माँ तू मेरा काठ खिलौना
मिटटी वाले से मजबूत
अपने बच्चों को भी दूंगा
मुझसे न जाना कभी तू दूर
तू ही गुल्लक है माँ मेरी
लगता बड़ा अमीर हो गया
एक और सिक्का तू भर देती
जब जब मैं अधीर हो गया
तू ही मेरी छुक छुक गाड़ी
मंजिल पर पहुंचायेगी तू
गार्ड बाबू बनेंगे बापू
जीवन सफल बनाएगी तू
आगे तुझसे कहूँ मैं क्या ,
सारे दिन तेरे ही नाम
जा! तुझे कितनों को देखना
तुझे पड़े कितने सारे काम
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