पर्यावरण दिवस की शुभकामनायों के साथ प्रस्तुत हैं ये चंद पंक्तियाँ
कह लो इसको प्रकृति
या कह लो पर्यावरण
पर ध्यान ज़रा सा रख लो बंधु
रोक लो इसका शीघ्र क्षरण
जल, जंगल, ज़मीन का दोहन
नहीं रोका तो तय है विनाश
फिर बाद में यूँ कहते फिरोगे
समय रहते कुछ किया होता काश
अभी हाल की घटनाओं ने
काफी कुछ तो सिखलाया है
प्रकृति ही असली माँ है हमारी
यही सभी को बतलाया है
वही इसी को देना होगा
जो माँ को तुम देते सम्मान
नहीं ज़रा इक दिवस मनाकर
रोज़ ही रखना होगा ध्यान
पेड़ लगाओ, पानी बचाओ
सब अच्छा है करते रहो
रखरखाव पर सबसे ज़रूरी
घट इक ये भी तो भरते रहो
थोड़ी सी इससे लग तो लगा लो
ये प्रेम बढ़ाता है पर्यावरण
प्रकृति फिर निखरकर आती
सारे अपने उतारकर आवरण
सुनील जी गर्ग
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