दोनों जहाँ के सरताज गुप्ता सर

17-Aug-2022

प्रोफेसर, टीचर, मास्टर या
सच्चे दोस्त थे मेरे गुप्ता सर
उत्साह भरी मुस्कुराहट से
दिल में बसते थे गुप्ता सर

राज़ बाँटते, सलाह भी लेते
मिटा देते थे उम्र का फ़ासला
उनको देख भर लेने से मुझे
काफ़ी बढ़ जाता था हौसला

अपनी पर्सनल डायरी में अक्सर
उनकी कई बातें लिखता था मैं
कई कई दिन नहीं भी मिलते थे
पर उनके बारे में सोचता था मैं

सुबह बजने वाली घंटी दरवाजे की
माँ के साथ होने वाली उनकी चर्चा
कभी खेती, कभी राजनीति की
किचन गार्डन से बचता उनका खर्चा

यादों की किताब काफी मोटी है
अभी बस थोड़े में सलाम लिखता हूं
आपके अनंत सफर पर सर जी
थोड़ी भावनायें आपके नाम लिखता हूं

पूज्य एम. एस. गुप्ता सर को श्रद्धांजलि

– सुनील जी गर्ग

सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि

07-Aug-2019

परम आदरणीय सुषमा दीदी के लिए मेरे श्रद्धा सुमन

कल भी उगेगा सूरज,
सुषमा विहीन मगर होगा |
कल भी चलेगी ज़िन्दगी,
उदासी भरा सफर होगा ||

कुछ को याद करते हैं कुछ ही ,
कुछ को करता है हर कोई |
फर्क ये है कामों का है मोल,
किसी के लिए प्रकृति भी रोई ||

बेटी, पत्नी, माँ या बहिन,
सभी रूपों को शान से जिया |
कश्मीर पर इच्छा क्या हुई पूरी,
ठहरा ही लिया अपना हिया ||

पर असल तो याद करेगी दुनिया,
सबसे मिलना, और वाणी का ओज |
भगवान भी बात मान लेगा आपकी,
यहाँ तो मानते ही थे सब लोग ||

बस भगवान् को यूं मनाइएगा,
यहाँ जो हुआ है शांति से जाये निबट |
नए रास्ते बेहतर साबित हों ,
नयी सुबह देश ले एक नयी करवट |

– सुनील जी गर्ग

शहीदों के ताबूत

15-Feb-2019

टीवी पर शहीदों के तिरंगे में लिपटे बॉक्सेस देखकर हृदय द्रवित हो गया और बस ये लिख डाला, कोई बात किसी को उद्वेलित करती हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ. पहले सोचा किसी से शेयर न करूँ, फिर सोशल मीडिया की पावर का प्रयोग करने का सोचा।

लाइन लगी तिरंगों की,
पर डूबा था तन मन गम में |
शहीदों के ताबूत देख कर,
खून तो खौला पर अब भी भरम में ||

अब भी भरम में और शरम में,
टीवी पर खुल गयी खिड़कियां |
छोटी खिड़कियों में बेशरम चेहरे
और बड़ी में दिखतीं थी सिसकियाँ ||

दिखतीं थी सिसकियाँ,
दिल पर होता बहुत असर |
शहीद तो वे होते ही रहेंगे,
हमने न छोड़ी कोई कसर ||

न छोड़ी कोई कसर,
ढोल तो बहुत बजाये |
जिनकी रक्षा राम करेंगे,
शिला पूजन सीमा पर करके आये ?

कुम्भ जैसी भीड़ अगर हम
एक भी दिन वहां जोड़ लें |
कौन सा बम हो दुनिया का,
जो हम न फोड़ लें. ||

जो भूल हुई इतिहास में,
चलो अब तो सुधारें |
टू नेशन थ्योरी को,
हम अब तो नकारें ||

हिन्दूकुश पर्वत की माला,
आज भी हमें बुलाती है |
एक ही दिन में जीत लेंगे
ये सेना हमें बताती है ||

सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा,
इसी क्रम में हो प्राथमिकता |
रोटी, कपडा, मकान,
ये हों, तभी तो टिक सकता ||

पर आज दर्शन क्या बघारूं,
दिल में उठती हूक है |
कितने भी बहा लूँ आंसू,
हर बूँद में इक झूठ है ||

श्रद्धांजली की परम्परा है,
निभानी तो पड़ेगी |
पर ये आग कब और कैसे बुझेगी,
ये बात भी बतानी तो पड़ेगी ||

– सुनील जी गर्ग

(Written after terrorist attack on Indian CRPF Soldiers at Pulwama, Kashmir, India on 14th Feb. 2019)

 

 

बड़े मामा जी आपकी याद

08-Oct-2018

आपकी याद

युग बीत जाएगा
मन जानता न था
आप साक्षात् न होंगे
दिल मानता न था

आपसे बहुत सीखा
मन था और भी
पर आपकी इंतज़ार में था
जहाँ एक और भी

आपने सुलझाईंं थीं
जीवन की पहेलियाँ
वक़्त ठहर जाता था
बातों में होती थी देरियाँ

महफ़िल जमती थी
आते थे चटनी पकौड़े
किस्से थे अनेक
याद होने लगे थे थोड़े थोड़े

सलाह थी आपकी
बिल्कुल ही सटीक
भविष्य कइयों का बनाया
बिल्कुल ही ठीक ठीक

आपका व्यक्तित्व
हम सबमें है अंश
आपसे मिलता था जो
बनता था आपका वंश

आपसे मिलने आते थे
आपके नाती और पोते
आपकी छाया में काश
कुछ और दिन बड़े होते

आपके लिए इस दुनिया में
थे मूल्यवान सबसे रिश्ते
काश कुछ और दिन हम सब
कर पाते आपको नमस्ते

खैर फिर नए युग आएंगे
कहीं तो रहेगा आपका नया रूप
महफ़िलें जरूर जमेंगी
आती रहेगी छाँव और धूप

मगर आपके लिए रुकने वाला,
वक़्त अब कभी न रुकेगा
आशीष पाने के लिए ये सिर
बस तस्वीर के आगे झुकेगा

सुनील जी गर्ग
(बड़े मामा जी पर पर और कविता लिखने का मन हुआ तो आज ट्रेन में ही ये पंक्तियाँ लिख दीं)

एक और ख़ास अँगरेज़

14-Mar-2018

टीवी पर स्टीफेन हाकिंग पर कोई प्रोग्राम न दिखा तो सोचा एक
कविता से श्रद्धांजली देनी चाहिए .

नहीं रहा एक अंग्रेज,
नाम था स्टीफेन हाकिंग |
समझाया ब्रम्हांड को उसने,
की ब्लैक होल पर टॉकिंग ||

असमर्थ शरीर, समर्थ मस्तिष्क,
दिया ईश्वर को चैलेंज |
रिलेटिविटी को क्वांटम से मिलाया,
किया साइंस को चेंज ||

सुधर जाओ दुनिया वालों,
धरती नहीं रहेगी |
यही हमें समझाकर हारे,
ये कितना बोझ सहेगी ||

सोच थी आइंस्टीन से आगे
घमंड न था विद्या पर उनको |
विज्ञान का करें ठीक उपयोग,
सच्ची यही श्रद्धांजली उनको ||

– सुनील जी गर्ग

नोट:
आज वैज्ञानिक आइंस्टीन का
जन्म दिवस भी है.

(Written in memory of Stephen Hawking who passed away today)