जन्माष्टमी 2022
August 19, 2022बाल कृष्ण, राधा के कृष्ण राजा या उपदेशक कृष्ण मीरा के या सुदामा के कृष्ण हर रूप दिखें बस कृष्ण कृष्ण रिश्तों की समझ का नाम कृष्ण हैं मन के सच्चे भाव कृष्ण जीवन में सच्चिदानंद कृष्ण थोड़े से भजन से दिखें कृष्ण भक्ति करो, या करो दोस्ती सब स्वीकार करते हैं कृष्ण जितना प्रेम […]
दोनों जहाँ के सरताज गुप्ता सर
August 17, 2022प्रोफेसर, टीचर, मास्टर या सच्चे दोस्त थे मेरे गुप्ता सर उत्साह भरी मुस्कुराहट से दिल में बसते थे गुप्ता सर राज़ बाँटते, सलाह भी लेते मिटा देते थे उम्र का फ़ासला उनको देख भर लेने से मुझे काफ़ी बढ़ जाता था हौसला अपनी पर्सनल डायरी में अक्सर उनकी कई बातें लिखता था मैं कई कई […]
भारत की स्वतंत्रता की हीरक जयंती
August 15, 2022देश अनोखा दुनिया में ये इंडिया, भारत, हिंदुस्तान तुलना करके देख ले कोई सबसे ज़्यादा यहाँ सम्मान वेद, उपनिषद यहाँ की थाती व्यास, शंकराचार्य से विद्वान भगवद्गीता के परम उपदेश विवेकानंद ने बिखेरा ज्ञान चरक, सुश्रुत सम चिकित्सक पतंजलि का है योग महान रामानुज और आर्यभट्ट ने सदियों पहले दिया विज्ञान ये देश निरंतर रहा […]
फिर आना
May 6, 2022अब रस्ता देख लिया है जब दिल चाहे चले आना खुशनुमा फज़ाएँ रहेंगी सदा दिलदार को भी संग लाना
गणतंत्र दिवस 2022
January 26, 2022सब नियम कायदे बने हैं अच्छे दुनिया में उदाहरण पेश किया आज के दिन ही हम लोगों ने खुद को लिखकर आदेश दिया धर्म, जाति से उठेंगे ऊपर सबको बराबर मानेंगे जरूर सिंधु से समंदर एक हैं हम इसी बात का तो हमें गुरूर कुछ हवाएँ कोशिश तो करतीं पर चिराग़ हमने अखंड जलाया बात […]
आँसू भी बन सकते हैं शक्ति
December 1, 2021यादें आती रहेंगी आँसू भी बन सकते हैं शक्ति यादें कुछ करा पाएँ हमसे वही होगी उनकी सच्ची भक्ति
हमारे वो मशहूर थे
December 1, 2021एक बार अखबारों में लिखा जाऊं हसरतें अब हो चुकी हैं पूरी फिर चाहे रद्दी में बिकुं गम नहीं पीदियाँ कहेंगी, हमारे वो मशहूर थे This was written in response to this whatsapp post: जिन्हें शौक् था, अखबारो के पन्नों पर बने रहने का..! वक़्त गुज़रा तो, रद्दी के भाव बिक गये..!
हिंदी में मन मिलाते हैं हम
September 14, 2020हिंदी को समर्पित एक कविता हिंदी ही समेटे है हिंदुस्तान इसी में मन मिलाते हैं हम मस्तिष्क की कुंजी है ये ही इसी में सोचकर भुलाते हैं गम हम थोड़ा कम पढ़ने लगे हों इसको पर दुनिया में इसको सीखने की चाह इतना साहित्य भरा पड़ा है इसमें और फिल्में इसमें तो बस भई वाह […]
मित्र दिवस 2020
August 2, 2020फ्रेंड, कम्पैनियन या हो बडी मित्र, दोस्त, सहचर और मीत कामरेड, पाल, अलाइ या मेट स्नेही, साथी, सखा निभायें रीत मित्र दिवस की शुभकामनायें
मुँह फिरा लिया तो क्या
July 9, 2020यूं ही उकेर दिए कुछ अल्फाज़ यहाँ पर, दिल का असली मक़सद छिपा लिया तो क्या ऐसे मजबूरियां कहाँ सुलझती हैं बन्दों, मालिक से अपना मुँह फिरा लिया तो क्या नोट: पहली दो पंक्तियाँ अलग से एक महीना पहले लिखीं थीं
जाने किस बात की टीस
June 23, 2020मोर्चे कई खोलने पड़ते जब, विचारों की लड़ाई हो विचारों से रिश्तों में क्या देखें जीत क्या देखें हार, इन झूठे सच्चे यारों से नया सोचना होता है, विचारों की भी एक टीम बनानी होती है इनका का भी एक व्यापार सा होता है, कमाई दिखानी होती है लम्बी चला करती हैं ऐसी लड़ाइयां, कई […]
मेरे पिता और मैं पिता (एक परिवर्तन)
June 21, 2020मेरे लिए आप एक दिवस नहीं बस पूरे हर दिन हर साल थे मालूम न था इतनी जल्दी जाओगे आप गए तो अपने बुरे हाल थे फिर संभले, ख़ुद भी बने बाप फादर का दिन मनाने लगे बच्चे एक दिन ही मिलने लगा हमको रिश्ते क्यों पड़ते हैं अब थोड़े कच्चे वो जो आप किया […]
अपनी ही बुलेट बनानी होगी
June 18, 2020अब खून नहीं खौलता किसी का, आदत अपनी है सुविधाभोगी सीमा पर जाबाँज गँवाकर बात करें, ज्यों पहुंचे जोगी वो कवि प्रदीप अब नहीं रहे ऐ मेरे वतन जो लिख के गए दिनकर को अब ढूंढो मत जो समर शेष बतला के गए लता दीदी जब बच्ची थीं जब पी.एम्. की आँखें हुईं नम आज […]
विराट जन्मदिन 2020
June 15, 2020जैसा हमारे यहाँ कहा करते हैं कि आप हो बिलकुल सोनापाट हँसते रहो, सुखी रहो, स्वस्थ रहो जन्मदिन मुबारक हो विराट -चाचा
सुशांत भी हो सकते हैं अशांत
June 14, 2020जान नहीं पाती है दुनिया दिखने में हंसमुखों का गम सुशांत भी हो सकते हैं अशांत लोगों को कम जानते हैं हम सुशांत सिंह राजपूत को श्रद्धांजलि
यूं पत्तों के पीछे से झांककर
June 14, 2020यूं पत्तों के पीछे से झांककर क्यूँ देखा करती हैं आपआप ही के लिए तो हम बागों के चक्कर लगाते हैंआप समझती हैं कि हमको कुछ पता ही नहीं हैहम लखनऊ के नवाब यूं ही नहीं फाख्ता उड़ाते हैं हर बार वही झील सी हरी नीली दिखती है आपकी आँखआप पूरी कैसी होंगी, रोज़ ख्वाबों […]
जिंदगी एक बॉक्सिंग का मैच
June 8, 2020जिंदगी एक बॉक्सिंग का मैच है यारों यहाँ सिर्फ गिरकर ही नहीं हारते हैं हम गिरने के बाद भी तो मिलता है समय हारते हैं तब, जब तब भी नहीं उठते हैं हम – सुनील जी गर्ग (c) indyan.com
नास्तिक vs आस्तिक
June 6, 2020* एक नास्तिक का मासूम प्रश्न * हे प्रेममयी कृष्ण, अटल अडिग शिव, मर्यादित श्रीराम, और सेवक हनुमान, पूजा-वूजा न ज्यादा करवाइये अपनी, ये गुण कैसे आयें, बतलाइये भगवान || * एक आस्तिक का सरल सा उत्तर * पूजा तो, खुद से जुड़ने का इक साधन, चाहते हो गुण, तो गुणवान को दो मान्यता, भक्ति […]
तराशो दिल लगाकर
June 6, 2020अनुभूतियाँ रूह को जगाती हैं इंसान की, पत्थर को तराशो दिल लगाकर, फिर देखो बानगी |
पर्यावरण दिवस २०२०
June 5, 2020पर्यावरण दिवस की शुभकामनायों के साथ प्रस्तुत हैं ये चंद पंक्तियाँ कह लो इसको प्रकृति या कह लो पर्यावरण पर ध्यान ज़रा सा रख लो बंधु रोक लो इसका शीघ्र क्षरण जल, जंगल, ज़मीन का दोहन नहीं रोका तो तय है विनाश फिर बाद में यूँ कहते फिरोगे समय रहते कुछ किया होता काश अभी हाल की […]