शिव हो शिव की मैं भी
तुम हो गए पच्चीस साल के,
हिंदी महीने के हिसाब से |
बढ़ो बड़े तुम इतना ज़्यादा,
बड़े हो जाओ बाप से |
तुम शिव हो शिव की मैं भी हो,
यूं ही शाश्वत, सरल ही रहना |
शिव सा ही अडिग, अनादि बनकर,
कर्त्तव्य नदी सा अविरल बहना |
अब और कठिन कठिन नहीं सोचा जा रहा,
बस यूं ही बधाइयाँ ले लो
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