एक बार अखबारों में लिखा जाऊं
हसरतें अब हो चुकी हैं पूरी
फिर चाहे रद्दी में बिकुं गम नहीं
पीदियाँ कहेंगी, हमारे वो मशहूर थे
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जिन्हें शौक् था,
अखबारो के पन्नों पर बने रहने का..!
वक़्त गुज़रा तो,
रद्दी के भाव बिक गये..!
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